गमालियल हेम्ब्रम, हेमंत सोरेन
झारखंड की VIP सीटों में से एक बरहेट विधानसभा सीट पर सबकी नजर है क्योंकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तीसरी बार यहां से चुनावी मैदान में हैं. TV9 की ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि बरहेट सीट से क्या हेमंत सोरेन अपना घर बचा पाएंगे या फिर बीजेपी के गैमलियाल हेंब्रम चक्रव्यूह को भेद पाएंगे?
TV9 भारतवर्ष की टीम ने सबसे पहले बरहेट मेन चौराहे पर आम लोगों से बात की. और जानना चाहा कि उनके लिए जरुरी मुद्दे क्या हैं. इन लोगों में ज्यादातर का कहना था कि कुछेक मुद्दों को छोड़ दें तो बरहेट क्षेत्र में काम और विकास हुआ है.
महिलाएं ज्यादा खुश नहीं
हालांकि वहां मौजूद 3-4 महिलाएं ज्यादा खुश नहीं हैं. इन महिलाओं का कहना है कि हेमंत सोरेन के शासनकाल में उनके विधानसभा में रहने के बावजूद ना तो उनको वृद्धावस्था पेंशन मिला और ना ही विधवा पेंशन. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो उनका घर और शौचालय तक बनवा दिया. कुछ महिलाएं तो बेटी-बहनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित भी दिखीं.
क्षेत्र का दौरा करने के दौरान टीम ने वहां के कुछ और लोगों से बात की और उनसे यह जानना चाहा कि आदिवासी लोगों की अस्मिता का मुद्दा और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो आदिवासी लोगों की जमीन हड़पने की बात कह रही है, वह कितनी सही है तो लोगों का कहना था कि हां यह मुद्दा अहम है और इसमें सच्चाई है.
यह बंटी-बबली की सरकारः हेम्ब्रम
बरहेट से हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे बीजेपी के उम्मीदवार गमालियेल हेम्ब्रम ने भी मुख्यमंत्री की आलोचना की. उन्होंने मुलाकात के दौरान मौजूदा प्रदेश सरकार को बंटी-बबली की सरकार बताया और कहा कि ये साफ पीने का पानी तक तो दे नहीं पा रहे जिसके चलते कई लोगों को बीमारियां भी हो रही हैं.
विधानसभा क्षेत्र के सिमलढाब गांव की महिलाएं भी हेमंत सरकार से बहुत गुस्से में थीं उनका कहना था कि इस सीट से मुख्यमंत्री होने के बाद भी यहां के लोगों को साफ पानी और सड़क जैसे मूलभूत सुविधाओं की दरकार है. हालांकि इन महिलाओं ने यह भी कहा कि उनको पीएम मोदी से आस है.
लंबे समय से बरहेट पर JMM का कब्जा
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बरहेट सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सुरक्षित सीट मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी का आज तक खाता नहीं खुल सका है. पिछले 2 बार से हेमंत सोरेन यहां से चुनाव जीत रहे हैं.
साल 1990 में हेमलाल मुर्मू ने कांग्रेस प्रत्याशी थामस हांसदा से यह सीट छीन ली थी. इसके बाद से इस विधानसभा सीट पर लगातार जेएमएम का कब्जा बना हुआ है. 2005 तक हेमलाल यहां के विधायक रहे. साल 2004 में उनके सांसद बनने की वजह से जेएमएम ने थामस सोरेन को यहां से टिकट दिया.
क्या BJP के खाते में आएगी जीत
बरहेट में जेएमएम की जीत का अंतर बढ़ता ही रहा है. 2014 के चुनाव में यहां जेएमएम को 46.18 प्रतिशत तो बीजेपी को 28.38 प्रतिशत मत मिले थे. यानी जीत का अंतर 18.12 प्रतिशत था जो 2019 में बढ़कर 18.67 प्रतिशत हो गया. ऐसे में इस सीट को लेकर बीजेपी परेशान जरूर है, यही वजह है कि बीजेपी ने हेमंत सोरेन के इस सीट से प्रस्तावक मंडल मुर्मू को अपनी पार्टी में शामिल कराया.
अनुसूचित जनजाति के लिए बरहेट विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 1,95,453 से ज्यादा है. इस क्षेत्र में संथाल और पहाड़िया आदिवासी वोटर्स की संख्या लगभग 71 प्रतिशत और मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 10 प्रतिशत है. आंकड़ों के मुताबिक बरहेट (एसटी) विधानसभा सीट के कुल 2,25,885 वोटर्स में पुरुषों की संख्या 1,10,077 जबकि महिलाओं की संख्या 1,15,807 है. ऐसे में चुनौती सत्तादारी पक्ष और विपक्ष दोनों के सामने है कि कौन इस सीट पर बाजी मारता है.
– India Samachar
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