7 अक्टूबर 2023 की वो सुबह, जिसे इजराइल कभी नहीं भूल सकता. इस दिन सुबह करीब 7 बजे हुए एक हमले ने अमेरिका की तमाम कोशिशों पर पानी फेर दिया था. हमास ने इजराइल पर करीब 2000 रॉकेट दागे, गाजा बॉर्डर पर बनी सैन्य चौकी पर कब्जा कर लिया और किबुत्ज रीम शहर में चल रहे म्यूजिक फेस्टिवल के दौरान हमला कर दिया.
हमास के लड़ाके पैराशूट के जरिए बॉर्डर क्रॉस कर घुस आए और सैकड़ों लोगों की जान ले ली. हमास के इस हमले में करीब 1200 लोगों की जान चली गई और 250 लोगों को बंधक बना लिया गया. लेकिन इस हमले का मकसद सिर्फ इजराइल को नुकसान पहुंचाना नहीं था बल्कि इस हमले मकसद इजराइल और सऊदी अरब के बीच बढ़ रही नज़दीकी को रोकना था.
सऊदी-इजराइल डील करा पाएंगे ट्रंप?
बीते एक साल के घटनाक्रम पर गौर करें तो हमास अपने इस मकसद में काफी हद तक कामयाब भी हुआ है. सऊदी अरब ने इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम पीछे खींच लिए हैं, और वह आजाद फिलिस्तीन की मांग के लिए फिर पुरजोर तरीके से आवाज उठा रहा है. लेकिन अमेरिका की सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी क्या सऊदी अरब और इजराइल के बीच सुलह करवा पाएगी?
अब्राहम अकॉर्ड एक ऐतिहासिक उपलब्धि
दरअसल अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के खाते में एक अहम उपलब्धि है. 15 सितंबर 2020 एक ऐसी तारीफ जो पूरी दुनिया खास तौर पर मिडिल ईस्ट के लिए काफी अहम है. इस दिन इजराइल के सबसे बड़े पार्टनर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अरब देशों और इजराइल के साथ एक अहम समझौता करवाया.
अब्राहम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर. (Social Media/Anadolu via Getty Images)
इसके तहत संयुक्त अरब अमीरात (UAE), मोरक्को, सूडान और बहरीन ने ‘अब्राहम अकॉर्ड’ पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के जरिए इन देशों ने इजराइल के साथ राजनयिक संबंध कायम करने का फैसला किया.
डील रोकने के लिए हमास ने किया हमला!
ट्रंप इस समझौते को एक और कदम आगे ले जाना चाहते थे, वह चाहते थे कि इजराइल के सऊदी अरब के साथ भी कूटनीतिक रिश्ते कायम हों. अगर ऐसा होता तो आजाद फिलिस्तीन की आवाज को आसानी से दबाया जा सकता था, साथ ही ईरान और सऊदी के बीच तनाव और बढ़ सकता था.
अमेरिका की कोशिशों से इजराइल और सऊदी आपसी रिश्ते सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ ही रहे थे कि अचानक 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास ने हमला कर दिया, इस हमले के जवाब में इजराइल ने गाजा में जो तबाही मचाई उसके बाद सऊदी को यह कहना पड़ा कि आजाद फिलिस्तीन के बिना वह इजराइल के साथ कोई संबंध स्थापित नहीं करेगा.
नेतन्याहू को ‘ट्रंप कार्ड’ का इंतजार?
इससे पहले अगस्त में इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी सऊदी के साथ संबंधों को सामान्य बनाने वाली डील पर साइन करने से इनकार कर दिया था. उस समय इजराइली मीडिया ने इसके पीछे जो वजह बताई थी वह थी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव.
रिपोर्ट्स के मुताबिक नेतन्याहू यह देखना चाहते थे कि डोनाल्ड ट्रंप दोबारा व्हाइट हाउस में लौटते हैं या नहीं. क्योंकि ‘अब्राहम अकॉर्ड’ ट्रंप के ही कार्यकाल में हुआ था और नेतन्याहू इस तरह की डील के मामले में ट्रंप पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
बहरहाल अब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की तस्वीर साफ हो चुकी है, ट्रंप का व्हाइट हाउस में लौटना तय है. ऐसे में क्या ट्रंप एक बार फिर ‘अब्राहम अकॉर्ड’ जैसा कोई समझौता करा पाएंगे जिससे इजराइल और सऊदी अरब के बीच दुश्मनी को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके या फिर सऊदी अरब आजाद फिलिस्तीन की स्थापना के लिए इजराइल और अमेरिका पर दबाव बनाने में कामयाब होगा.
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link