मनोज जरांगे ने चुनाव से कदम पीछे खींचे
मराठा आंदोलन की अगुवाई कर चर्चा में आए मनोज जरांगे पाटिल पिछले कई महीनों से विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने चुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. उन्होंने चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार न उतारने का निर्णय किया है, जिसके बाद मनोज जरांगे के समर्थकों ने अपने नाम वापस ले लिए हैं. जरांगे ने यूं ही चुनावी मैदान नहीं छोड़ा है बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत फैसला लिया है. मनोज जरांगे पाटिल लोकसभा चुनाव के फॉर्मूले पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का गेम बिगाड़ेंगे?
महाराष्ट्र में एक्स फैक्टर माने जाने वाले मराठा नेता मनोज जरांगे पाटील ने चुनाव से खुद को अलग कर लिया है. मराठा आंदोलन की तरफ से जिन नेताओं ने चुनाव में नामांकन दाखिल किया था, उन्होंने अपने नाम वापस ले लिए हैं. जरांगे पाटील ने कहा कि एक समाज के बल पर हम चुनाव नहीं लड़ सकते. मुस्लिम और दलित समुदाय के नेताओं से हमने उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी थी, लेकिन वह नहीं मिल पाई, इसलिए चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. ऐसे में मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है. उन्होंने कहा कि मेरा किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से कोई संबंध या समर्थन नहीं है.
जरांगे ने क्यों कदम खींचे पीछे?
मनोज जरांगे पाटील ने बहुत सोच-समझकर कदम उठाया है. मनोज जरांगे ने वक्त की नजाकत को देखते हुए फैसला लिया है, क्योंकि मुकाबला महायुति बनाम महा विकास अघाड़ी के बीच है. ऐसे में अगर उनके उम्मीदवार सभी सीटों पर हार जाते हैं तो मराठा समुदाय के बीच किरकिरी हो जाती और आरक्षण का मसला एक राजनीतिक बात बनकर रह जाएगा. इसके अलावा उनके चुनाव लड़ने से मराठा वोटों के बिखराव का भी खतरा बन गया था, जिसके चलते जरांगे की रणनीति पर पूरी तरह पानी फिरता नजर आ रहा था. यही वजह है कि जरांगे के चुनाव लड़ने से कदम खींचने का शरद पवार ने स्वागत किया है तो बीजेपी गठबंधन के लिए सियासी टेंशन बढ़ाने वाला माना जा रहा है.
BJP को मराठवाड़ा में लगा था झटका
मराठा आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे मराठवाड़ा इलाके से आते हैं और उनके समर्थकों में बड़ी संख्या मराठा समुदाय की है. मनोज जरांगे के चुनाव लड़ने से बड़ा असर मराठावाड़ा बेल्ट में पड़ता. साल 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिंदे को महाराष्ट्र में सबसे बड़ा सियासी झटका मराठावाड़ा बेल्ट में लगा था, जहां पर मनोज जरांगे के विरोध के चलते पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था. मराठवाड़ा की 8 लोकसभा सीटों में से 7 सीटें एनडीए हार गई थी. यही नहीं मराठवाड़ा से सटे हुए विदर्भ के यवतमाल और पश्चिम महाराष्ट्र के सोलापुर, अहमदनगर और माढा लोकसभा चुनाव क्षेत्र में भी इसका असर दिखा और वहां भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.
शरद पवार ने क्या कहा?
मराठा समुदाय के गुस्से को दलित और मुस्लिम समुदाय का भी साथ मिला था. यह वोट बैंक महायुती के हार के लिए जिम्मेदार रहा. जरांगे के उम्मीदवार चुनाव मैदान में होने से मराठा वोटों में बिखराव की संभावना बन गई थी. इससे सीधा नुकसान महाविकास आघाडी को और एनडीए को फायदा दिख रहा था. इसलिए मनोज जरांगे पाटील के चुनाव न लड़ने के निर्णय पर शरद पवार ने भी खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी का जरांगे पाटील के चुनाव से दूरी बनाने में कोई संबंध नहीं है. मुझे खुशी है कि उन्होंने यह निर्णय लिया. अगर उन्होंने उम्मीदवार उतारे होते तो उसका लाभ बीजेपी को मिलता यह साफ है, इसलिए उन्होंने जो फैसला लिया है वह हमारे लिए सही है.
बीजेपी के लिए बड़ा झटका
मराठवाड़ा इलाके में 46 विधानसभा सीटें आती हैं और पश्चिम महाराष्ट्र में 70 सीटें हैं. इन दोनों क्षेत्रों में मनोज जरांगे का खासा प्रभाव माना जाता है और मराठा वोट निर्णायक भूमिका में है. पिछले विधानसभा चुनाव में मराठवाड़ा इलाके में बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया था तो पश्चिम महाराष्ट्र में एनसीपी के पक्ष में नतीजे रहे. ऐसे ही विदर्भ में बीजेपी ने बेहतर किया था. मनोज जरांगे के चुनावी मैदान से हटने से बीजेपी और शिंदे के लिए सियासी तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है. एनसीपी से लेकर कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन के लिए यह किसी सियासी संजीवनी से कम नहीं है.
लोकसभा चुनावों में मराठा समुदाय के साथ-साथ संविधान बदलने का प्रचार और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने की वजह से तीनों समुदाय महाविकास आघाड़ी के साथ खड़े रहे. इस बार मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बीजेपी नेताओं की बयानबाजी की वजह से ज्यादातर यहीं पैटर्न रिपीट होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में अब मनोज जरांगे पाटील के चुनाव न लड़ने की चाल महायुती को काफी नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि मनोज जरांगे के चुनाव न लड़ने के फैसले से मराठा समुदाय एकमुश्त होकर महा विकास अघाड़ी के साथ जा सकता है.
– India Samachar
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