हेमंत सोरेन पर सीधा हमला क्यों नहीं कर रही बीजेपी?
झारखंड के चुनावी दंगल में एक तरफ हेमंत सोरेन के साथ इंडिया गठबंधन है तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन. हेमंत सोरेन बीजेपी के केंद्र से लेकर राज्य तक के नेताओं पर सीधा हमला कर रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं. वहीं बीजेपी के शीर्ष नेता अपने भाषण में हेमंत सोरेन पर डायरेक्ट अटैक करने से परहेज कर रहे हैं.
पिछले 2 दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह कुल 5 रैली को संबोधित कर चुके हैं, लेकिन दोनों ही नेताओं ने एक भी रैली में हेमंत सोरेन को निशाने पर नहीं लिया. ऐसे में सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि बीजेपी ने हेमंत को वॉकओवर दे दिया है या पार्टी किसी रणनीति के तहत यह कर रही है?
मोदी की 2 रैली पर एक में भी हेमंत पर हमला नहीं
गढ़वा की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 54 मिनट का भाषण दिया. पीएम मोदी ने अपनी रैली में झारखंड के निर्माण, भ्रष्टाचार और परिवारवाद जैसे कई मुद्दे को उठाया. हेमंत की सरकार पर भी पीएम ने निशाना साधा, लेकिन हेमंत को सीधे तौर पर निशाने पर नहीं लिया.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में हेमंत का जिक्र तक नहीं किया. पीएम ने इसके बाद चाईबासा में एक रैली की. यहां भी प्रधानमंत्री हेमंत सोरेन पर हमला करने की बजाय आदिवासी के विकास और बेटी-माटी-रोटी के जिक्र पर ज्यादा फोकस किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कांग्रेस और आरजेडी को ही सबसे ज्यादा निशाने पर लिया. मोदी ने कहा कि कांग्रेस और आरजेडी आदिवासी विरोधी पार्टी है. इसके इतिहास को जानना जरूरी है.
हेमंत सोरेन पर अमित शाह भी सॉफ्ट नजर आए
पीएम मोदी की रैली से एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने झारखंड में 3 रैली की. शाह ने अपने तीनों ही रैलियों में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सॉफ्ट नजर आए. घाटशिला की रैली में बोलते हुए शाह ने कहा कि हेमंत सोरेन को बदलने के लिए नहीं बल्कि झारखंड में परिवर्तन के लिए भाजपा लड़ रही है.
उन्होंने आगे कहा कि हम परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि हम घुसपैठिए और भ्रष्टाचारियों को भगाने के लिए आए हैं. इससे पहले झारखंड बीजेपी के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा हेमंत को बीजेपी में आने का ऑफर दे चुके हैं.
2 महीने पहले हिमंता ने कहा था कि हेमंत अगर बीजेपी के साथ आना चाहते हैं तो मुद्दों पर सहमति दें. हम उनके लिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से बात करेंगे. 2010 में जेएमएम और बीजेपी ने गठबंधन किया था.
हेमंत पर सीधा हमला क्यों नहीं कर रही बीजेपी?
1. आदिवासी वोट में सेंध लगाने की रणनीति- बीजेपी की नजर राज्य की आदिवासी वोटरों पर है. झारखंड में आदिवासी वोटरों की संख्या 26 प्रतिशत है. आदिवासियों को झारखंड मुक्ति मोर्चा का कोर वोटर्स माना जाता है. हालिया लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए रिजर्व सभी 5 सीटों पर जेएमएम गठबंधन ने जीत हासिल की है.
आदिवासी इलाकों में हार की एक वजह हेमंत का जेल भी जाना था. हेमंत के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी ने इसे आदिवासी अस्मिता का मुद्दा बनाया.
2019 के विधानसभा चुनाव में भी संथाल और कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था. 2019 के चुनाव में आदिवासियों के लिए रिजर्व 24 सीटों पर जेएमएम गठबंधन ने जीत हासिल की थी.
भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत मिली थी. बीजेपी ने इस बार आदिवासी वोटरों में सेंध लगाने के लिए एक साथ कई रणनीति पर काम शुरू किया है. कहा जा रहा है कि इसमें एक हेमंत पर सीधा हमला न करने की भी है.
2. हेमंत वर्सेज कौन से फंस सकती है पार्टी- झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगियों ने हेमंत के चेहरे को आगे किया है. हेमंत और उनकी पत्नी कल्पना लगातार मैदान में डटी हुई हैं. दूसरी तरफ बीजेपी ने बिना फेस मैदान में उतरने का फैसला किया है.
ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व हेमंत पर सीधा हमला करेगी, तो हेमंत वर्सेज कौन की लड़ाई हो सकती है. वर्तमान में बीजेपी में 5 से ज्यादा नेता सीधे तौर पर सीएम के दावेदार हैं.
हेमंत वर्सेज कौन की लड़ाई अगर फंसती है तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि हेमंत के टक्कर का कोई नेता पार्टी के पास वर्तमान में नहीं है.
– India Samachar
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