कानून में वोट न देने का अधिकार दिया हुआ है.
चुनाव में हर वोट कीमती होता है. नागरिकों के वोट से ही देश का भविष्य तय होता है. चुनाव में मतदान प्रतिशत ज्यादा से ज्यादा रहे, इसे सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन भी कई स्तर पर काम करता है. हालांकि, रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951 के नियमों में वोट देने और न देने दोनों को “चुनावी अधिकार” का दर्जा दिया हुआ है. इसके सेक्शन 79(d) में मतदाताओं के वोट न देने को “चुनावी अधिकार” कहा गया है.
EVM में बटन दबाकर मतदान देने से पहले हर वोटर को एक प्रक्रिया पूरी करनी होती है. जब कोई वोटर पोलिंग बूथ पहुंचता है, तो वोट देने से पहले पोलिंग ऑफिसर फॉर्म 17A में वोटर का इलेक्टोरल रोल नंबर दर्ज करता है. इसके बाद वोटर भी उसको साइन करता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति फॉर्म 17A में अपना नाम रजिस्टर कराने के बाद वोट देने से मना कर दें, तो क्या होगा? ऐसे मामलों में आगे की कार्रवाई कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 49-O के तहत होती है.
क्या कहता है कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 का नियम 49-O?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 49-O के अनुसार,’यदि कोई वोटर अपना इलेक्टोरल रोल नंबर फॉर्म-17A में रजिस्टर कराने और साइन करने के बाद वोट देने से मना कर देता है, तो फॉर्म-17A में उसकी एंट्री के आगे ये रिमार्क लिखा जाएगा. इसके अलाव मतदाता को उस एंट्री के सामने साइन या अंगूठा लगाना होगा.’
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चलिए समझते हैं कि पूरी प्रक्रिया कैसे होती है? ऐसे मामलों में मतदाता अपना चुनावी नंबर रजिस्टर कराने के बाद प्रीसाइडिंग ऑफिसर के पास जाता और उसे सूचित करता है कि वो किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं करना चाहता है. इस पर ऑफिसर वोटर की एंट्री के आगे ‘Refused to Vote’ (वोट देने से इनकार) लिख देता है. इस एंट्री पर ऑफिसर और वोटर दोनों साइन करते हैं. ऐसी सभी एंट्रियों को आगे चुनाव आयोग को भेज दिया जाता है. इस जानकारी को RTI के जरिए मांगा जा सकता है.
रूल 49-O का चुनाव पर क्या असर पड़ता है?
अगर उन मतदाताओं की संख्या, जो रूल 49-O के तहत किसी को भी वोट न देने के विकल्प को चुनते हैं, सबसे ज्यादा वैध मत पाने वाले उम्मीदवार से ज्यादा है, तो ऐसे मामले में क्या होगा? चुनाव आयोग के 2008 के एक नोटिफिकेशन में इस सवाल का जवाब दिया गया है.
चुनाव आयोग के मुताबिक, ऐसे मामलों में फिर से उस सीट पर चुनाव नहीं कराए जाएंगे. जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वैध मत मिलेंगे वो विजेता घोषित कर दिया जाएगा.
रूल 49-O का एक फायदा ये बताया जाता है कि इससे फर्जीवाड़े पर नजर रखने में मदद मिलती है. इससे कोई एक व्यक्ति दूसरे वोटर के नाम से मतदान नहीं कर पाएगा. हालांकि, अब EVM मशीन में NOTA (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प मिलता है, जिससे वोटरों को सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का विकल्प मिलता है और वोटों में फर्जीवाड़ा भी रोका जा सकता है.
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– India Samachar
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