Bird Flu: हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बर्ड फ्लू (H5N1) के पहली बार 1996 में सामने आने के बाद से इंसानों में इसका असर बहुत कम देखा गया था। हालांकि, यह स्थिति कब तक बनी रहेगी इसकी अब उम्मीदें कम हैं क्योंकि अब यह इंसानों में भी तेजी से फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को सलाह दी है कि वे मरे हुए या बीमार जंगली जानवरों को न छुएं।
बर्ड फ्लू के कई स्ट्रेंस हैं, जो पक्षियों और जानवरों में छोटी-मोटी बीमारियों से लेकर अत्यधिक गंभीर जानलेवा बीमारियां पैदा कर सकते हैं। अब ऐसे कई स्ट्रेंस भी सामने आ रहे है जो इंसानों की भी मौत का कारण बन सकते हैं।
इंसानों में बर्ड फ्लू के स्ट्रेन
बर्ड फ्लू इंसानों को भी संक्रमित कर सकता है और गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, खासकर जब यह H5N1, H7N9, H5N6, H5N8 स्ट्रेन के कारण होता है। जब कोई व्यक्ति बर्ड फ्लू से संक्रमित होता है, तो उसे बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द होता हैं और गंभीर मामलों में बर्ड फ्लू के कारण निमोनिया और रेस्पिरेटरी फेलियर जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं। दरअसल, बर्ड फ्लू के H5N1, H7N9, H5N6, H5N8 स्ट्रेन पक्षियों और जानवरों के बीच सबसे ज्यादा संक्रमित करने वाले होते हैं। उन संक्रमित पक्षियों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से या वायरस संक्रमित जगहों के संपर्क में आने से बर्ड फ्लू इंसानों को भी जकड़ सकता है।
बर्ड फ्लू का इतिहास
बर्ड फ्लू का पहला मामला 1878 में सामने आया था लेकिन पहले इसे ‘हाइली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) के नाम से जाना जाता था। साल 1981 में इसे ‘बर्ड फ्लू’ अधिकारिक नाम दिया गया था। भले ही बर्ड फ्लू का पहला केस 1878 में मिला हो लेकिन यह 1997 में एक वैश्विक चिंता का विषय बना। दरअसल, तब वायरस का एक अत्यधिक खतरनाक स्ट्रेन – H5N1, हांगकांग में सामने आया था। उस दौरान यह तेजी से अन्य देशों में फैला था।
गौरतलब है कि 1997 में, हांगकांग में 18 लोग बर्ड फ्लू के H5N1 स्ट्रेन से संक्रमित थे और उनमें से छह की मौत हो गई थी। तब से वायरस का संक्रमण रुका ही नहीं है और एशिया, यूरोप और अफ्रीका सहित कई देशों में पक्षियों और जानवरों सहित कभी-कभी इंसानों में भी इसका संक्रमण देखा गया हैं। वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बर्ड फ्लू को एक वैश्विक महामारी का खतरा घोषित किया और दुनिया भर के देशों ने वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर दिया।
बर्ड फ्लू के सबसे ज्यादा खतरनाक स्ट्रेंस
बर्ड फ्लू के कई अलग-अलग स्ट्रेंस हैं। इनमें से कुछ को गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बनने की क्षमता के कारण दूसरों की तुलना में अधिक खतरनाक माना जाता है। बर्ड फ्लू का सबसे खतरनाक स्ट्रेन अत्यधिक रोगजनक H5N1 स्ट्रेन है, जो 1997 में हांगकांग में सामने आया था।
बर्ड फ्लू का एक और खतरनाक स्ट्रेन H7N9 है, जो 2013 में चीन में सामने आया और तब भी यह अन्य देशों में फैल गया था। इन दो स्ट्रेंस के अलावा, बर्ड फ्लू के दो और खतरनाक स्ट्रेंस हैं, जिनमें H5N2 और H5N6 शामिल हैं। ये सभी स्ट्रेंस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पक्षियों और जानवरों में संक्रमण और कभी-कभार इंसानों में संक्रमण का कारण बने हैं।
भारत में बर्ड फ्लू का कहर
बर्ड फ्लू के भारत में पिछले कुछ वर्षों में कई मामले सामने आए हैं। भारत में बर्ड फ्लू का पहला मामला 2006 में महाराष्ट्र में सामने आया था। तब से भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसके कई मामले सामने आ चुके हैं। फिलहाल इस महामारी का सबसे ज्यादा प्रकोप भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में हैं। साल 2021 में छह राज्यों – राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल और हरियाणा में बर्ड फ्लू का बहुत खतरनाक ‘विस्फोट’ हुआ था। जबकि, सितंबर 2020 में भारत ने खुद को बर्ड फ्लू मुक्त देश घोषित कर दिया था।
बर्ड फ्लू के विभिन्न स्ट्रेन जैसे H5N1, H5N8, और H9N2 भारत में सर्वाधिक पाये जाते हैं। गौरतलब है कि 21 जुलाई 2021 को एक 11 वर्षीय बच्चे की बर्ड फ्लू के H5N1 स्ट्रेन के कारण 20 दिनों तक दिल्ली एम्स में भर्ती रहने के बाद मौत हो गई थी।
भारत सरकार ने क्या एक्शन लिया?
भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD) के वैज्ञानिकों ने पक्षियों को बर्ड फ्लू वायरस से बचाने के लिए एक टीका बनाने में सफलता हासिल की है। हालांकि, अभी तक यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, अभी तक भारत सरकार ने बर्ड फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं जैसे संक्रमित पक्षियों को मारना, प्रभावित क्षेत्रों में क्वारेंटाइन लगाना और प्रभावित क्षेत्रों में पक्षियों और जानवरों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाना शामिल हैं।
अन्य देशों ने बर्ड फ्लू को रोकने के लिए क्या किया?
कई देशों ने भी बर्ड फ्लू के आउटब्रेक को रोकने के लिए भारत जैसे ही उपाय अपनाये हैं। इसमें अधिकतर देशों में पक्षियों को मारने का तरीका ही सबसे ज्यादा कारगर समझा जाता है। बर्ड फ्लू का प्रसार रोकने के लिए नीदरलैंड्स ने लगभग 2 लाख, जापान ने 9 लाख, साउथ कोरिया ने 2.17 करोड़, फ्रांस ने 25 लाख, और स्पेन ने 13 लाख पक्षियों को मार दिया है। वहीं चीन में लगभग 3 करोड से भी ज्यादा पक्षियों को बर्ड फ्लू संक्रमण रोकने के लिए मारा गया है। हालांकि, वास्तविकता में यह आंकड़ा बहुत कम है क्योंकि मारे गए पक्षियों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
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