प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में बोल रहे हैं। हालांकि उनके बोलने से पहले ही विपक्ष ने पीएम के भाषण का वॉकआउट कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया। सातवें दिन दिन पीएम मोदी के भाषण से पहले विपक्षी बीआरएस ने जेपीसी की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। सदन में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के अभिभाषण के लिए धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने कहा कि, राष्ट्रपति ने अपने दूरदर्शी संबोधन में हमारा और करोड़ों भारतीयों का मार्गदर्शन किया। गणतंत्र के प्रमुख के रूप में उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक होने के साथ-साथ देश की बेटियों और बहनों के लिए प्रेरक भी है। आईए पीएम मोदी के इस भाषण की बड़ी बातें जानते हैं।
*पीएम मोदी ने कहा कि, सब लोगों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर रुचि, प्रकृति और प्रवृति के अनुसार अपनी बातें रखी। इन बातों को गौर से सुनते हैं समझने का प्रयास करते हैं तो ये भी ध्यान में आता है कि किसकी क्षमता है, किसकी कितनी योग्यता है। किसकी किनती समझ है और किसका क्या इरादा है।
* राहुल पर तंज कसते हुए पीएम ने कहा कि पूरा इकोसिस्टम उछल रहा था। कुछ लोग तो कह रहे थे कि ये हुई न बात। कुछ लोगों को नींद भी नहीं आई। कुछ तो अभी तक सो रहे होंगे। ये कह कहकर हम दिल को बहला रहे हैं। वो अब चल चुके हैं। वो अब आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान कुछ लोग कन्नी काट गए थे। एक बड़े नेता तो उनका अपमान भी कर चुके हैं।
* पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के संबोधन के कुछ वाक्य भी कोट किए और ये भी कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किसी को ऐतराज भी नहीं है. इसकी किसी ने आलोचना भी नहीं की। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि किसी ने विरोध नहीं किया, सबने स्वीकार किया। पीएम मोदी ने कहा कि इसे पूरे सदन की स्वीकृति मिली है। सदस्यों ने अपनी सोच के मुताबिक अपनी बात रखी। इससे उनकी समझ और इरादों का भी पता चला।
* पीएम मोदी ने कहा कि, सदन में हंसी मजाक नोंकझोक चलती रहती हैं। राष्ट्रपति के भाषण में जो बड़ी बातें हैं वो 140 करोड़ लोगों के सेलिब्रेशन का अवसर है। 100 साल में आई भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बंटा हुआ विश्व, इस संकट के माहौल में देश जिस प्रकार से संभला है, इससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है, गौरव से भर रहा है।
* पीएम बोले कि, हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी अस्थिर स्थिति बनी हुई है। ऐसी स्थिति में भी देश दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। आज पूरे विश्व में भारत को लेकर एक आशा है, भरोसा है। ये भी खुशी की बात है कि आज भारत को विश्व को समृद्ध देश जी-20 की अध्यक्षता का अवसर मिला है। ये देश के लिए गर्व की बात है। पर पहले मुझे लगता है कि कुछ लोगों को इससे भी दुख हो रहा है। वो आत्मनिरीक्षण करें कौन लोग हैं जिसको इसका भी दुख हो रहा है।
* मोदी ने कहा कि, डिजिटल इंडिया की चारों तरफ वाहवाही हो रही थी। पूरे तरह इसे लेकर पूछ रहे थे। कोरोना काल में समृद्ध देश अपने नागिरकों को मदद करना चाहते थे। नोटें छापते थे लेकिन वो बांट नहीं पाए थे। लेकिन ये देश है कि एक मिनट में अपने लोगों को खाते में हजारों करोड़ भेज देता है। एक समय था कि तकनीक के लिए तरसता था। आज टेक्नॉलजी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
* प्रधानमंत्री ने कहा कि, दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है। निराशा में रह रहे लोग इस देश की प्रगति को स्वीकार ही नहीं कर पाते हैं। पिछले 9 वर्ष में भारत में 90 हजार स्टार्टअप, और आज स्टार्टअप की दुनिया में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। भारत के युवा सामर्थ की पहचान बनने जा रहा है। इतने कम समय और कोरोना के विकट काल में 109 यूनिकॉन बने हैं। एक यूनिकॉन का मतलब होता है, उसकी वैल्यू 6-7 हजार करोड़ से ज्यादा होती है।
*उर्जा की खपत के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। खेल की दुनिया में भी हर स्तर पर भारत के खिलाड़ी अपना रुतबा दिखा रहे हैं। शिक्षा समेत हर क्षेत्र में आज भारत आगे बढ़ रहा है। पहली बार उच्च शिक्षा में पंजीकरण की संख्या साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा हो गया है। खेल के अंदर भारत का परचम ओलंपिक, कॉमनवेल्थ में हमारे बेटे और बेटियों ने परचम लहराया है।
* पीएम मोदी ने सदन में एक किस्सा सुनाया। एक बार जंगल में दो नौजवान शिकार करने के लिए गए वो गाड़ी में बंदूक निकालकर टहलने लगे। उन्होंने सोचा था कि थोड़ा आगे चलना तो थोड़ा इंतजार कर ले। लेकिन उन्हें वहीं बाघ दिख गया। बाघ दिखा तो करें क्या तो उन्होंने बाघ को लाइसेंस दिखा दिया कि मेरे पास बंदूक का लाइसेंस है। इन्होंने भी बेरोजगारी दूर करने के लिए कानून बना दिया।
* पीएम ने काका हथरसी को कोट करते हुए कहा कि काका हाथरसी ने कहा था कि आगा-पीछा देखकर क्यों होते गमगीन जैसी जिसकी भावना, वैसा दिखे सीन। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग निराश हैं। ये निराशा भी ऐसे नहीं आई। एक तो जनता का हुकुम, बार-बार हुकुम.।उन्होंने कहा कि 2014 के पहले अर्थव्यवस्था खस्ता हो गई, महंगाई डबल डिजिट में रही। इसलिए कुछ अगर अच्छा होता तो निराशा और उभरकर आती है। जिन्होंने बेरोजगारी दूर करने के वादे किए थे।
* कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए भारत को दुनिया को सामने प्रस्तुत करने का मौका था लेकिन फिर मौका मुसीबत में कॉमनवेल्थ घोटाले में पूरा देश बदनाम हुआ। सदी के दूसरे दशक में हिंदुस्तान की चर्चा ब्लैक आउट के नाते हुई। पूरे विश्व में ब्लैक आउट के दिन दुनिया में चर्चा के केंद्र में आ गए। कोयला घोटाला चर्चा में आ गया। 2008 के हमलों को कोई भूल नहीं सकता है, लेकिन आतंकवाद पर सीना तानकर आंख में आंख मिलाकर हमले करने का सामर्थ नहीं था। पूरे देश में लोगों का खून बहता रहा।
* मोदी ने कहा कि, 2014 के पहले जो दशक था वो लॉस्ट देशक के लिए रूप में याद रखा जाएगा। 2030 का दशक इंडिया का दशक होगा। आलोचना लोकतंत्र की मजबूती के लिए है। लोकतंत्र के समर्थन के लिए है। लोकतंत्र की स्पिरिट के लिए है। आलोचना एक शुद्धि यज्ञ है।
* मोदी ने आगे कहा कि, 9 साल आलोचना नहीं आरोपों में गंवा दिए। गाली गलौच देते रहे। चुनाव हार जाओ चुनाव आयोग को गाली दे दो। कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आए कोर्ट को गाली दे दो। अगर भ्रष्टाचार की जांच की हो रही है तो जांच एजेंसियों को गाली दो। अगर सेना पराक्रम करे, सेना अपना शौर्य दिखाए तो सेना को भी गाली दो। कभी आर्थिक प्रगति की खबरें आएं तो विश्व के सारे संस्थान गौरव गान करे तो आरबीआई को गाली दो।
* करप्शन के मुद्दे पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि, भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों को बहुत कुछ कहा गया। विपक्ष के लोग इस विषय में सुर में सुर मिला रहे थे। मुझे लगता था कि देश की जनता देश के चुनाव के नतीजे ऐसे लोगों को जरूर एक मंच पर लाएगी लेकिन वो तो हुआ नहीं। लेकिन इन लोगों को ईडी का धन्यवाद करना चाहिए कि ईडी के कारण एक मंच पर आए हैं।
* पीएम ने आगे कहा कि, कुछ लोगों को यहां हार्वर्ड स्टडी का बड़ा जोर है। कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में स्टडी होगी। बीते वर्षों में हार्वर्ड में एक बड़ी रोचक स्टडी हुई है। द राइज एंड डिक्लाइन इंडियाज कांग्रेस पार्टी। मुझे विश्वास है कि कांग्रेस की बर्बादी पर बड़े-बड़े विश्वविद्यालय में अध्ययन होना ही होना है। उन्होंने शायराना हमला बोलते हुए दुष्ययंत कुमार की पंक्तियां पढ़ी और कहा कि पैरों के नीचे जमीन नहीं है लेकिन इन्हें यकीन नहीं है।
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