अमिताभ बच्चन, जीनत अमान और प्राण की फिल्म डॉन को प्रदर्शित हुए 44 साल पूरे हो गए हैं। यह फिल्म 12 मई, 1978 को रिलीज हुई थी। फिल्म के निर्देशक चंद्रा बरोट और प्रोड्यूसर नरीमन ईरानी थे। आपको जानकर हैरानी होगी उस जमाने में यह फिल्म महज 70 लाख रुपए के बजट में तैयार हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने 7 करोड़ रुपए की कमाई की थी। फिल्म 44 साल पूरे होने के मौके पर आपको इससे जुड़ा एक मजेदार किस्सा सुनाने जा रहे हैं। कम ही लोग जानते हैं कि इस फिल्म की रिलीज से पहले इसके नाम डॉन को लेकर मेकर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच काफी गहमा-गहमी हो गई थी। डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म के नाम से सहमत नहीं थे और मेकर्स नाम बदलना नहीं चाहते थे।
शायद कम ही लोग जानते है कि फिल्म डॉन के साथ अमिताभ बच्चन 2-3 फिल्मों की और शूटिंग कर रहे थे और उनके लिए सभी को मैनेज करना काफी मुश्किल होता था।
डॉन अपने संवादों, एक्शन सीन और गीतों की वजह से ब्लॉकबस्टर साबित हुई। इस फिल्म को बनाने से पहले चंद्रा बरोट मनोज कुमार की फिल्म रोटी कपड़ा और मकान के साथ बतौर तकनीशियन जुड़े हुए थे। कहा जाता है कि डॉन के बारे में इस फिल्म के सेट पर बरोट ने सबसे पहले प्राण के साथ बातचीत की थी, फिर इसमें अमिताभ बच्चन शामिल हो गए और वहीं पर जीनत अमान में आ गई। फिल्म ने उस वक्त कई रिकॉर्ड तोड़े। डॉन के बारे में कहा जाता है कि यह फिल्म कानपुर में प्रदर्शन के साथ असफल हो गई थी, वितरक को काफी नुकसान हुआ था। अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए उसने इस फिल्म को कम दरों पर कानपुर सेंट्रल स्टेशन के पास स्थित मंजूश्री सिनेमाघर में घटी हुई दरों पर फिर से प्रदर्शित किया। तकदीर बदली और डॉन ने मंजूश्री सिनेमाघर में गोल्डन जुबली मनाई।
1978 में रिलीज हुई फिल्म डॉन ने बॉक्स आफिस पर कामयाबी के झंडे गाड़ दिए थे। लेकिन फिल्म रिलीज होने के लिए मेकर्स को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। अमिताभ बच्चन ने फिल्म से जुड़ा किस्सा सोशल मीडिया पर शेयर किया था।
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि फिल्म के नाम को लेकर डिस्ट्रीब्यूटर्स सहमत नहीं थे। दरअसल, उस वक्त पर डॉन नाम की अंडरवियर काफी पॉपुलर हुई थी। मीडिया रिपोटर्स के अनुसार डिस्ट्रीब्यूटर्स नाम की वजह से फिल्म नहीं चलने से डर रहे थे। वह घाटा बर्दाश्त नहीं करना चाहते थे। इसीलिए मेकर्स के साथ नाम बदलने को लेकर चर्चा हुई थी।
उन्होंने बताया था- उस दौरान हॉलीवुड फिल्म द गॉडफादर रिलीज हुई थी, जो क्राइम और अंडरवल्र्ड पर बेस्ड थी। फिल्म को जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था। फिल्म डॉन भी अंडरवल्र्ड की कहानी से ही जुड़ी थी। डायरेक्टर और प्रोड्यसर इस बात पर अड़े रहे थे कि फिल्म चलेगी। इसलिए फिल्म का नाम नहीं बदला गया।
फिल्म का एक गाना खईके पान बनारस वाला.. काफी फेमस हुआ था। इस गाने के लिए अमिताभ बच्चन को 30-40 पान खाने पड़े थे। गाने में अमिताभ कई जगह लंगड़ाते हुए नजर आ रहे थे। वे उस वक्त लावारिस फिल्म की शूटिंग में भी व्यस्त थे और इंजेक्शन लगवाकर उन्होंने इस गाने की शूटिंग पूरी की थी।
खईके पान बनारस वाला गीत डॉन फिल्म पूरी होने के बाद फिल्म में जोड़ा गया था। पहले यह गाना देव आनंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए था। लेकिन बाद में देव आनंद ने इस गाने को फिल्म से हटवा दिया था।
अमिताभ बच्चन ने फिल्म में अंडरवल्र्ड बॉस डॉन और उसके हमशक्ल विजय का डबल रोल प्ले किया था। मुंबई पुलिस के डीसीपी डी सिल्वा, विजय से डॉन का रूप लेने को कहते हैं, जिससे वो पुलिस के मुखबिर के रूप में काम कर सके, साथ ही डॉन के आपराधिक नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में पुलिस की मदद कर सके। डॉन की कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी। वहीं कल्याणजी-आनंदजी ने फिल्म का संगीत दिया था जबकि इसके गीत अंजान और इंदीवर ने लिखे थे।
डॉन का हिस्सा फरीदा जलाल भी थीं। उन्होंने फिल्म के लिए 5 मिनट का एक सीन शूट किया था। लेकिन जब फाईनल एडिट में इस सीन को देखा गया तो ऐसा लगा कि इसकी जरूरत फिल्म में नहीं है। फरीदा जलाल का सीन केवल फिल्म की लंबाई बढ़ा रहा था और यही कारण था कि उनके सीन को फिल्म से काट दिया गया।
गौरतलब है कि ये अमिताभ बच्चन और जीनत अमान की जोड़ी के तौर पर पहली फिल्म थी। इससे पहले, दोनों ने साथ में रोटी, कपड़ा और मकान में काम किया था लेकिन उस फिल्म में दोनों एक दूसरे के अपोजिट नहीं थे। फिल्म से अमिताभ बच्चन का डायलॉग – मुझे जंगली बिल्लियां बहुत पसंद है, आज तक दर्शकों की ज़ुबान पर रहता है।
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