जस्टिस शेखर यादव
विश्व हिन्दू परिषद की विधि प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जज डॉ शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए संबोधन में कठमुल्ला शब्द के प्रयोग को लेकर उन पर चौतरफा हमला हो रहा है. उनके बयान की काफी निंदा हो रही है. वहीं विवाद के बीच हाईकोर्ट के कई अधिवक्ता संगठन और संस्थाएं उनके समर्थन आगे आई हैं. भारतीय भाषा अभियान काशी प्रांत की बैठक में प्रदेश के अपर महाधिवक्ता और भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक अशोक मेहता ने जज शेखर यादव का बचाव किया है.
अशोक मेहता का कहना है कि जज यादव ने अपने वक्तव्य में डेमोक्रेसी की व्याख्या करते हुए कहा कि भारत में बहुसंख्यक वाद का राज है. इसके साथ साथ यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने पर जोर दिया. उन्होंने बहुत ही सभ्य शब्दों में अपने विचारों को व्यक्त किया और संयमित तरीके से कठमुल्ला शब्द का प्रयोग किया. मेहता ने कहा कि उनके भाषण के किसी एक छोटे से खंड या शब्द को पकड़ कर राजनैतिक लाभ के लिए हल्ला मचाना किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं है.
‘अशोभनीय एवं असंसदीय शब्द नहीं है कठमुल्ला’
मेहता ने कहा कि किसी भी भाषण को उसकी पूर्णता में देखा जाना चाहिए, टुकड़ों में तोड़ मरोड़ कर उनका अर्थ का अनर्थ नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कठमुल्ला शब्द जब संसदीय शब्दकोश में ढूंढा जाता है तो पाते हैं कि यह शब्द अशोभनीय एवं असंसदीय शब्द नहीं है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएसन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल एक छोटी सी घटना को बड़ा करके दिखा रहे हैं. कांग्रेस और सिब्बल की यह पुरानी आदत है.
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‘पहले भी कांग्रेस ने ऐसा ही किया था’
मेहता ने कहा कि जेसी शाह भारत के पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ भी 60 के दशक में ऐसा ही प्रयास कांग्रेस ने किया था और अभी कुछ समय पहले भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरूद्ध भी कपिल सिब्बल की अगुआई में इसी प्रकार की कोशिश की गई थी. उन्होंने कहा कि यही नहीं सिब्बल ने ही महाभियोजन के दोषी न्यायाधीश रामास्वामी का संसद में बचाव किया था और पूरी की पूरी कांग्रेस ने संसद का बहिष्कार करके रामास्वामी को महाभियोग से बचाया था. मेहता ने कहा कि 196 सांसदों ने रामास्वामी को महाभियोग का दोषी पाया था जबकि एक भी सांसद इस पक्ष में एक भी वोट नहीं किया कि रामास्वामी निर्दोष हैं.
‘महाभियोग के प्रयासों की निंदा करते हैं’
भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संरक्षक अशोक मेहता का कहना है कि जब तक भारत सिर्फ और सिर्फ पाश्चात्य डेमोक्रेसी की तरफ देखेगा तब तक मेजोरिटिस्म बहुसंख्यक वाद ही राज करेगा. जिसकी लाठी उसकी भैंस. उन्होंने कहा कि पिछले 60 सालों में भारतीय संविधान के अंदर उसका यूज. मिस यूज जिस रूप में किया गया है. वह दुनिया से छिपा नहीं है, लेकिन आज की आवश्यकता है कि भारतीय गणतंत्र के 75 वें वर्ष पर हम प्रजातंत्र लोकतंत्र एवं गणतंत्र की परिभाषाओं पर वृहद रूप से विचार करें. उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा अभियान जज शेखर कुमार यादव के समर्थन में खड़ा है और महाभियोग जैसे कुत्सित प्रयासों का विरोध एवं निंदा करता है.
– India Samachar
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