(फाइल फोटो)
किसी के भी जीवन में अपराध करके जेल जाने से बड़ा दुस्वप्न कोई दूसरा नहीं हो सकता. ऊंची-ऊंची जेल की दीवारों के पीछे यह सोचने का मौका मिलता है कि कैसे अपने किए गए अपराधों का प्रायश्चित किया जाए. इसी भावना को मजबूती देने का काम कर रही है कानपुर जेल की लाइब्रेरी. जहां जेल के बंदी गीता के श्लोक के साथ प्रेमचंद की किताबें पढ़ रहे हैं.
जेल में रहने के बाद अपने किए की सजा तो मिल जाती है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती होती है समाज की मुख्य धारा में लौटना. जेल से जाने के बाद समाज के देखने का नज़रिया भी बदल जाता है, और इसके लिए अपने को तैयार करने में लगे हैं कानपुर जेल के बंदी. इसमें मददगार साबित हो रही है जेल की लाइब्रेरी. यहां पर महिला बंदी ज्यादातर वेद, पुराण, गीता का अध्ययन कर रही हैं, तो पुरुष बंदी ज्यादातर साहित्य पढ़ रहे हैं.
जेल में 3000 से ज्यादा किताबें उपलब्ध
कानपुर जेल के अधीक्षक बी.डी. पाण्डेय ने बताया कि कानपुर जेल में करीब 3000 से ज्यादा किताबें उपलब्ध हैं, जिसमें धार्मिक किताबों के साथ साहित्य, सामाजिक अभिरुचि वाली किताबें भी मौजूद हैं. परीक्षा देने वाले बंदियों के लिए यहां यूपी बोर्ड की सभी विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं.
जेल अधीक्षक के अनुसार, पिछले कुछ समय से बंदियों में किताब पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ी है. धार्मिक किताबों के अलावा, सबसे ज्यादा प्रेमचंद की गोदान, कफ़न, पूस की रात, दो बैलों की कथा जैसी किताबें पढ़ी जा रही हैं.
महिला बंदियों में देखी गई ज्यादा रुचि
पुरुष बंदियों के मुकाबले महिला बंदी किताबें पढ़ने में ज्यादा रुचि दिखा रही हैं. जेल के नियमों के अनुसार, कोई भी बंदी लाइब्रेरी के अलावा अपनी बैरक में भी पुस्तक ले जाकर पढ़ सकता है. वैसे तो बाहर की दुनिया में लाइब्रेरी का चलन लगभग समाप्त हो गया है, लेकिन जेल की दुनिया में यही लाइब्रेरी बंदियों के लिए सबसे बड़ा सहारा बनी हुई है.
इसके अलावा, जेल प्रशासन कैदियों को उत्पादों और जूट उद्योग का प्रशिक्षण देता है. इसमें सेल्स, मार्केटिंग, कच्चे माल की खरीदारी, डिजाइन चयन और जूट उत्पादों की जानकारी दी जाती है. साथ ही, कैदियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताया जाता है.
– India Samachar
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