बिहार के भागपुल जिले के एक शख्स से अपनी पूरी जिंदगी अनाथालय में गुजार दी. उन्होंने बताया कि अनाथालय की चाहरदिवारी में ही बचपन की यादें हैं. नवजात के रूप में यहां आए थे, अब बुढापा भी इसी आंगन में कट रहा है. 72 वर्ष के विदेशी भारती ने अपनी जिंदगी अनाथालय के नाम कुर्बान कर दी. वह यहां के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, रामानंदी देवी हिंदू अनाथालय उनके लिए परिवार की तरह है. नवजात में ही उन्हें यहां लाया गया था तब से लेकर आज तक विदेशी अनाथालय के ही हो कर रह गए.
विदेशी भारती ने कहा कि वे यहां कब आए उन्हें कुछ पता नहीं है, लेकिन जब से होश संभाला तब से वे यही हैं. उन्हें पता चला है कि अनाथालय ने ही उन्हें जिंदगी दी है और नाम भी उसकी ही देन है, और उसी वक्त से विदेशी ने अनाथालय को ही जिंदगी कुर्बान कर देने का प्रण लिया था. जिसको आज भी वो निभा रहे हैं.
विदेशी ने कहा कि बाल अवस्था में ही भोजन बनाने का कार्यभार संभाल लिया था और युवा अवस्था से लेकर बुजुर्ग होने तक भोजन बनाने का ही काम किया. अब बुढ़ापा होने की वजह से वर्तमान में विदेशी भारती ज्यादा काम करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए अनाथालय के सभी सदस्य और कर्मी उनका खास ख्याल रखते हैं.
विदेशी को सभी बूढ़े दादा की तरह चाहते हैं
विदेशी को अब अनाथालय के अन्य सदस्य अपने घर के बूढ़े दादा की तरह चाहते हैं और उनका ख्याल रखते हैं. समय पर चाय और खाना के अलावा विदेशी को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसका भी खास ध्यान रखा जाता हैं. उन्हें रेडियो सुनने का बहुत शौख है, इसलिए आज भी उनके पास एक रेडियो चालू अवस्था में मौजूद हैं, जो अनाथालय के सदस्य ने उन्हें गिफ्ट के तौर पर दिया है. क्योंकि उनका पुराना रेडियो खराब हो गया था. विदेशी भारती के लिए उनका रेडियो भी एक साथी की तरह है, जिसे वो हमेशा अपने साथ रखते हैं.
‘मैं बाल ब्रह्मचारी हूं’
अगर विदेशी भारती से कोई पूछता है कि आपने शादी क्यों नहीं की, तो वह इस सवाल से बचते नजर आते हैं और कहते हैं कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं, पूरा अनाथालय उनका परिवार है. बुढ़ापा होने पर अनाथालय से वृद्धा आश्रम जाने की बात पर वे रोने लगते हैं. उनका कहना है कि अब उनकी अर्थी अनाथालय से ही उठेगी.
अनाथालय के अध्यक्ष सजय झा और सहायक कार्यालय प्रभारी दीपराज ने बताया कि 20 दिसंबर को अनाथालय का 99वां वर्षगांठ मनाया जाएगा. 99 वर्षों की इस यात्रा में 72 वर्षों तक विदेशी अनाथालय में रहे हैं और लगभग सभी बदलाव के वे साक्षी रहे हैं. अनाथालय से जुड़ा हर एक सदस्य उनका भरपूर सम्मान भी करता है.
– India Samachar
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