प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है, लेकिन इससे पहले ही संगम किनारे साधु संतों की अद्भुत दुनिया बसने लगी है. रुद्राक्ष वाले संन्यासी की साधना और संकल्प की भी इसमें एक झलक देखने को मिल रही है.
प्रयागराज में संगम के तीरे साधना , भक्ति और योग की अद्भुत त्रिवेणी प्रवाहित हो रही हैं. इसी त्रिवेणी की झलक एक संयासी संत के सिर पर है, जिन्होंने 45 किलो रुद्राक्ष अपने सर पर धारण कर रखा है.
45 किलो वजन के रुद्राक्ष का ताज
आवाहन अखाड़े के संन्यासी संत गीतानंद जी महाकुंभ में अपने संकल्प को लेकर लोगों के बीच सुर्खियों में हैं. संन्यासी गीतानंद बताते हैं कि यह उनकी हठयोग साधना का हिस्सा है, जिसमें उन्होंने संकल्प लिया है कि वह 12 साल तक 45 किलो वजन के रुद्राक्ष का ताज सर पर धारण करेंगे. इतना ही नहीं उनके बदन में भी रुद्राक्ष की लड़ियों से पिरोई जैकेट भी है.
1.25 लाख रुद्राक्ष का सिर पर भार
संन्यासी गीतानंद जी हरियाणा से आए हैं और वह आवाहन अखाड़े की एक शाखा के सचिव हैं. साल 2019 से उन्होंने मानव मात्र के कल्याण के लिए 12 साल तक सिर पर 1.25 लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया. संन्यासी जी के इस संकल्प को 6 साल बीत चुके है, और वो अभी भी इसे नियमित धारण करते हैं. इस मुकुट को पहनने के कारण लोग उन्हें रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से जानते है. गीतानंद जी ने बताया कि रुद्राक्ष के वजनी तक को संभालने के लिए उन्हें शुरू में थोड़ी तकलीफ हुई लेकिन अब यह उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है.
योग से आराध्य को करना चाहते हैं प्रसन्न
योगी गीतानंद हठ योग से आराध्य को प्रसन्न करना चाहते हैं. गीतानंद महाराज बताते हैं कि वह कठिन और कष्टदायक साधना के जरिए अपने आराध्य को प्रसन्न करना चाहते हैं. हठयोगी अपनी कठिन साधना से ही भगवान को प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं.
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