मध्य प्रदेश के खरगौन में रहने वाले संत सियाराम बाबा का बुधवार सुबह निधन हो गया. वह 110 साल थे. संत सियाराम बाबा के निधन की खबर से उनके भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे. कुछ दिन पहले उनके निधन के खबर की अफवाह फैली थी. उनके स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने फोन किया था. उनका पूरा जीवन अध्यात्म की बीता. सियाराम बाबा की खास बात ये थी कि उन्होंने कभी भी किसी से 10 रुपये से ज्यादा दान में नही लिए. अगर कोई उन्हें 500 रुपये देता तो बाबा 490 रुपये लौटा देते थे. आजीवन उनका यही नियम रहा.
संत सियाराम बाबा के निधन की खबर सुनकर उनके आश्रम पर भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गई है. भक्त उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. उनका आश्रम खरगोन जिले के कसरावद ब्लॉक स्थित नर्मदा नदी के किनारे ग्राम भट्टियान में है. सियाराम बाबा एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और संत माने जाते हैं. वह जीवन भर नर्मदा नदी का जल पिया करते थे. उन्होंने हमेशा लंगोट पहनी और नर्मदा किनारे तपस्या की. वह हनुमान जी के भक्त थे और दिनभर रामायण का पाठ करते थे.
कहलाए ‘दानी बाबा’, उम्र का नहीं सही पता
संत सियाराम बाबा की उम्र को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे होते रहते हैं. कोई उनकी उम्र को 108 साल तो कोई 118 उम्र बता रहा हैं. हालांकि, असल उम्र आज तक किसी को नहीं पता. सियाराम बाबा आजीवन नर्मदा मैया की तपस्या करते रहे . उन्हें निमाड़ में नर्मदा का सबसे बड़ा भक्त भी कहा जाता है. इतनी उम्र में भी उनके अंदर अध्यात्मिक ऊर्जा भरी रही. भक्त उन्हें ‘दानी बाबा’ के नाम से भी पुकारते थे.
पढ़ाई छोड़ पहुंच गए हिमालय
संत सियाराम बाबा का जन्म खरगोन जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने गांव के स्कूल में रहकर पढ़ाई की. कक्षा 7 के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और वे वैरागी हो गए. उसके बाद वह हिमालय की यात्रा पर निकल पड़े. वहां से वापस आकर संत सियाराम बाबा ने नर्मदा नदी के किनारे अपना आश्रम बना लिया और यहीं जीवन भर तपस्या करते रहे. वह 12 वर्षों तक मौन व्रत पर रहे और 10 वर्षों तक एक पैर पर खड़े होकर तपस्या की. उन्हें पिछले दिनों निमोनिया की शिकायत हुई थी. उनके इलाज के लिए चिकित्सकों की टीम लगी हुई थी.
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