मध्य प्रदेश के इंदौर एक शख्स को उसकी जमीन की कीमत 24 साल बाद मिली. अपनी जमीन के पैसे पाने के लिए सख्स 24 साल से दर-दर भटक रहा था. अधिकारियों से गुहार लगा रहा था लेकिन उसकी समस्या को कोई भी सुनने को तैयार नहीं था. लेकिन उसने हार नहीं मानी. 24 साल के संघर्श के बाद उसे न्याय मिला है. जानकारी के मुताबिक शख्स ने सड़क बनाने के लिए अपनी जमीन दी थी, जिसके बाद उसे जमीन की कीमत के लिए वर्षों तक निगम के अधिकारी आश्वासन देते रहे.
इंदौर में एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो न्याय की प्रतीक्षा, संघर्ष और अंततः उम्मीद पूरी होने का प्रतीक बन गई. यह कहानी है श्याम तिवारी की, जिन्होंने करीब दो दशक पहले इंदौर के माणिकबाग ब्रिज और सड़क निर्माण के लिए अपनी जमीन सरकार को दी थी. लेकिन इसके बदले उन्हें केवल वादे और आश्वासन ही मिले. समय के साथ उनके संघर्ष ने उन्हें थका दिया और उम्मीदों का आकाश धुंधला पड़ने लगा.
24 साल बाद मिला मुआवजा
श्याम तिवारी के जीवन में यह मोड़ तब आया जब इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने उनके मामले में हस्तक्षेप किया. एक फोन कॉल ने उनकी वर्षों की बेचैनी और दर्द को सुलझाने की दिशा दी. महापौर ने उन्हें नगर निगम मुख्यालय बुलाया और 60 लाख रुपए का चेक सौंपा. चेक को हाथ में लेते ही श्याम तिवारी की आंखें भर आईं. यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं थी, बल्कि उनके लंबे संघर्ष और धैर्य की जीत थी. भावुक तिवारी ने महापौर को अपनी दुआएं देते हुए कहा कि आज मेरे विश्वास को फिर से एक नई ताकत मिली है
देरी से मिले न्याय पर महापौर ने जताया दुख
वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भीश्याम तिवारी को देरी से मिले न्याय पर खेद जताया और शहरहितमें उनके योगदान के लिए आभार जताया है. भले ही वर्षों का संघर्ष रहा हो लेकिन आखिरकारश्याम तिवारी को इंसाफ मिला है और आज वेबेहदखुशभीहैं. किसी के जीवन में खुशियां लाना से बहेतर कोई काम नहीं हो सकता है. श्याम तिवारी पिछले 24 साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे थे. लेकिन आज उन्हें न्याय मिला है.
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