उत्तर प्रदेश में रामपुर के बाद मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर बीजेपी ‘कमल’ खिलाने में कामयाब होती दिख रही है. 65 फीसदी मुस्लिम आबादी वाली कुंदरकी विधानसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी ठाकुर रामवीर सिंह का ‘भाईजान’ मॉडल में उतरकर प्रचार करने का दांव हिट रहा है और सपा पस्त नजर आई. कुंदरकी सीट पर रामवीर सिंह भारी मतों से जीत दर्ज करते नजर आ रहे हैं. इस तरह बीजेपी ने 31 साल के बाद कुंदरकी सीट पर कमल खिलाया है.
कुंदरकी में 65 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता होने के चलते सपा यहां अपनी जीत तय मानकर चल रही थी. मुस्लिम वोटों के सियासी समीकरण के चलते सपा चार बार कुंदरकी सीट पर अपना विधायक बनाने में कामयाब रही है. बीजेपी अपने सियासी इतिहास में सिर्फ 1993 के उपचुनाव में कुंदरकी सीट जीतने में कामयाब रही थी. मुस्लिम समीकरण के चलते बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल भरी सीट नजर आ रही थी, लेकिन ठाकुर रामवीर सिंह का ‘भाईजान मॉडल’ में प्रचार करने की स्टाइल मुस्लिमों को खूब पंसद आई और सपा की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया.
कुंदरकी में कौन-कौन है चुनावी मैदान में?
कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने रामवीर सिंह, सपा ने पूर्व विधायक हाजी रिजवान को उतारा था. बसपा से रफातुल्लाह, AIMIM से मो.वारिश चुनाव लड़ रहे थे. इस तरह कुंदरकी सीट पर 12 प्रत्याशियों में ठाकुर रामवीर सिंह को छोड़कर सभी मुस्लिम हैं. मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते कुंदरकी जीतना बीजेपी के लिए लोहे के चने चबाने जैसा था. बीजेपी के लिए यही स्थिति रामपुर में भी थी, जहां पर 55 फीसदी वोटर मुस्लिम थे. बीजेपी ने रामपुर उपचुनाव में आकाश सक्सेना को उतारा और मुस्लिमों का एक बड़ा वोटबैंक हासिल करने में वो कामयाब रहे थे. इसी स्टाइल में बीजेपी ने कुंदरकी सीट पर भी जीत का ताना बाना बुना है, जिसके लिए ही बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह मुस्लिम रंग में नजर आ रहे हैं.
अजान के दौरान बंद कर देते थे भाषण
बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह सिर ने जालीदार गोल नमाजी टोपी और गले में सऊदी स्टाइल की चादर ओढ़े ‘भाईजान’ लुक में प्रचार करने का दांव चला. रामवीर मुस्लिम इलाके में बीजेपी सिर्फ प्रचार तक सीमित नहीं है बल्कि कुरान की आयत पढ़कर अपने भाषण का आगाज करते थे. इस्लामिक अंदाज में रचे बसे रामवीर सिंह को जैसे ही अजान आवाज आती है तो अपना भाषण देना बंद कर देते हैं और चुपचाप खड़े रहते हैं. अजान खत्म होने के बाद फिर दोबारा से अपना भाषण वो शुरू करते हैं.
बीजेपी की जीत के पीछे कुंवर बासित अली
कुंदरकी में भले ही रामवीर सिंह विधायक बनने में कामयाब हुए हों, लेकिन बीजेपी की जीत की असल इबारत लिखने का काम अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने किया. उन्होंने शुरू से ही मुस्लिम इलाकों पर खास फोकस कर रखा था. बासित अली कुंदरकी सीट पर मुस्लिमों को अल्लाह की कसम खिलवा कर बीजेपी को वोट देने का वादा ले रहे थे. मुस्लिम गांव में बासित ने नारा दिया था, टन दूरी है, न खाई है, ठाकुर रामवीर हमारा भाई है.’ इतना ही नहीं बीजेपी ने तुर्क मुस्लिम बनाम राजपूत मुस्लिम वोटों को साधने का दांव चला.
मुस्लिमों ने रामवीर का जमकर दिया साथ
सपा से चुनाव लड़ रहे हाजी रिजवान तुर्क थे, जिनके खिलाफ राजपूत मुस्लिमों को साधने का दांव चला, जिसमें भूमिका बासित अली ने बनाई थी. बासित अली मुस्लिम राजपूत हैं और ठाकुर रामवीर सिंह को उन्होंने अपना भाई बताकर मुस्लिम वोटों के बीच पैठ बनाई. कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में मूंढापांडे गांव मुस्लिम बहुल है. रामवीर सिंह यहां एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करने पहुंचे थे. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रामवीर सिंह को पैसे से तौला था.पैसों को रामवीर ठाकुर ने अपने माथे से लगाकर लोगों के प्रति अपना आभार जताया. गांव के मुस्लिमों ने रामवीर सिंह से कहा था कि हम इस मिथक को तोड़ देंगे कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देता है. हम रामवीर को वोट भी देंगे और चुनाव लड़ाने के लिए नोट भी देंगे. मुस्लिमों ने बीजेपी को कुंदरकी में जमकर वोटिंग किया है, जो नतीजे से भी साफ है.
कुंदरकी विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका में है. मुस्लिम वोटर 62 फीसदी हैं, जो डेढ़ लाख के करीब हैं. कुंदरकी में 40 हजार के करीब तुर्क मुसलमान हैं, जबकि 1 लाख 10 हजार के करीब अन्य मुस्लिम जातियां है. इसके अलावा 18 फीसदी के करीब दलित और बाकी अन्य हिंदू वोटर हैं. हिंदू वोटों में ठाकुर सबसे ज्यादा है और उसके बाद सैनी समुदाय के लोग हैं. सपा और बसपा यहां पर मुस्लिम वोंटों के बदौलत ही जीत दर्ज करती रही है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती जीत दर्ज करने की है, जो बिना मुस्लिम वोटों के संभव नहीं है.
कुंदरकी सीट पर तुर्क मुसलमानों का दबदबा
कुंदरकी में मुस्लिम सियासत पर तुर्क मुसलमानों का ही दबदबा रहा है. इस बार के चुनाव में भी सपा, बसपा और ओवैसी ने तुर्क मुस्लिम को उम्मीदवार बना रखा है, जिसके जवाब में बीजेपी राजपूत मुस्लिमों को साधने में लगी है. बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह ठाकुर ने मुस्लिम राजपूत बिरादरी में सेंधमारी के लिए हर दांव चला है. इस सीट से लगातार किस्मत आजमा रहे रामवीर अपने ठाकुर होने की दुहाई देकर भरोसा जीतने का पैंतरा आजमाया. रामवीर सिंह खुद को मुस्लिमों के हमदर्द बताते रहे, जिसका नतीजा है कि मुस्लिम समुदाय ने जमकर उनके पक्ष में वोटिंग किया.
बीजेपी इस बात को जानती है कि कुंदरकी सीट पर हिंदू वोटों से जीत दर्ज नहीं की जा सकती है. इसीलिए मुस्लिम वोटों पर फोकस किया था. 19 राउंड की वोटों के गिनती के बाद सपा प्रत्याशी हाथी रिजवान को 12937, बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह 111470 वोट मिले हैं. आजाद समाज पार्टी के चांद बाबू को 6020 मत मिले हैं. इस तरह करीब एक लाख वोटों से बीजेपी प्रत्याशी रामवीर सिंह आगे चल रहे हैं. कुंदरकी सीट पर कुल 32 राउंड की मतगणना होनी है. बीजेपी के रामवीर सिंह को जिस तरह बढ़त बनी हुई है, उससे जीत तय मानी जा रही है. ऐसे में साफ है कि मुस्लिमों ने बड़ी संख्या में बीजेपी को कुंदरकी सीट पर वोटिंग किया है, जिसके चलते कमल खिलता नजर आ रहा है.
1993 के बाद मिली बीजेपी को जीत
कुंदरकी सीट पर साल 1993 में आखिरी बार बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. उस वक्त बीजेपी नेता चंद्रविजय सिंह जीते थे. उसके बाद से बीजेपी इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर सकी थी. ऐसे में इस बार कुंदरकी में सीट पर जीत के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कमान संभाल रखी थी. कुंवर बासिल अली और रामवीर सिंह की सियासी जोड़ी हिट रही है. हाजी रिजवान की मुसलमानों के बीच मजबूत पकड़ न होना भी बीजेपी के लिए मुफीद रहा. इतना ही नहीं उनके मुस्लिम तुर्क जाति से होने के चलते दूसरी मुस्लिम बिरादरियां बीजेपी के पक्ष में लामबंद हो गई है. ऐसे में बीजेपी ने 65 फीसदी मुस्लिमों के बीच कमल खिलाने में सफल रही.
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