उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. पिछले चुनाव से 13 फीसदी कम हुए मतदान ने सियासी गणित को उलझा दिया है. सियासी दल अपनी-अपनी जीत के दावे भले ही करें लेकिन पूरी तरह आश्वस्त कोई भी नहीं है. 2022 चुनाव में बीजेपी की लहर के बाद भी सपा चार सीटें जीतने में कामयाब रही थी और 2024 में उसे छह सीटों पर बढ़त मिली थी. पांच महीने के बाद हुए उपचुनाव में सपा की साइकिल करहल सीट पर फुल रफ्तार से चली लेकिन मुस्लिम बहुल सीटों पर उसकी स्पीड पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है.
यूपी की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें सीसामऊ, खैर, कुंदरकी, मीरापुर, करहल, गाजियाबाद, कटेहरी, फूलपुर और मझवां सीट है. 2022 में सपा ने चार, बीजेपी ने तीन, आरएलडी ने एक और एक सीट निषाद पार्टी ने जीती थी. उपचुनाव में बीजेपी 8 सीट पर लड़ी है तो एक सीट पर आरएलडी ने उम्मीदवार उतारा है. सपा और बसपा ने सभी 9 सीटों पर किस्मत आजमाई है तो असदुद्दीन ओवैसी और चंद्रशेखर आजाद ने भी अपने उम्मीदवार उतारे. इसके बाद भी सपा और बीजेपी गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है.
गड़बड़ाता नजर आ रहा सपा का सियासी समीकरण
यादव और मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा 2022 के चुनाव में जीतने में कामयाब रही थी. पीडीए फॉर्मूले के जरिए लोकसभा चुनाव में भी सपा 37 सीटें जीतने में सफल रही थी. इसी फॉर्मूले पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उपचुनाव में दांव चला था लेकिन बसपा की खामोशी और बीजेपी के आक्रामक हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटने से सपा का सियासी समीकरण गड़बड़ाता नजर आ रहा है. इसके चलते सपा के हाथों से कई अपनी सीटों के खिसकने का खतरा दिख रहा है.
उपचुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल में भी इसके संकेत साफ नजर आए. एग्जिट पोल ने 2-7 और 3-6 का अनुमान जताया है. सपा के खाते में 2 या फिर 3 सीट जाती दिख रही हैं जबकि बीजेपी गठबंधन को 6 या फिर 7 सीटें मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. एग्जिट पोल के अनुमान 23 नतीजे में तब्दील होते हैं तो फिर साफ है कि सपा की जीती हुई सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब हो जाएगी.
सपा के पक्ष में लामबंद नजर आए यादव वोटर
करहल विधानसभा सीट यादव बहुल मानी जाती है और सपा की यह परंपरागत सीट रही है. अखिलेश यादव के इस्तीफे के चलते उपचुनाव हुआ, यहां से तेज प्रताप यादव किस्मत आजमाने उतरे. तेज प्रताप के खिलाफ बीजेपी ने अनुजेश यादव को उतारा था, जो सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं. करहल में 54.1 फीसदी मतदान हुआ है.
यादव समुदाय के वोटर बड़ी संख्या में घरों से निकलकर बूथ तक पहुंचे हैं और माना जा रहा है कि सपा के पक्ष में लामबंद नजर आए. इसके चलते ही तमाम एग्जिट पोल करहल सीट को सपा की जीत का अनुमान जता रहे हैं. सपा यह सीट महज एक बार हारी है और बाद में जीते विधायक को अपने साथ मिला लिया था. इसीलिए सपा के पक्ष में जाने की उम्मीदें भी दिख रही हैं.
मुस्लिम बहुल सीट पर लगा ब्रेक?
मीरापुर विधानसभा सीट 2022 में आरएलडी ने सपा के समर्थन से जीती थी लेकिन उपचुनाव में बीजेपी के समर्थन से उतरी. आरएलडी से मिथलेश पाल, सपा से सुम्बुल राणा के बीच मुकाबला सिमटता दिखा जबकि बसपा से शाह नजर, आसपा और AIMIM की तीसरे और चौथे नंबर की लड़ाई करते दिखे. ओबीसी और जाट मतों के बहुल वाले गांव में आरएलजी प्रत्याशी के पक्ष में रुझान नजर आया.
मुस्लिम बहुल गांव ककरौली, सीकरी, मीरापुर, जटवाड़ा, जौली में सुबह मुस्लिम मतदाता सपा, बसपा और आसपा के बीच बंटते नजर आए. ककरौली में पथराव के बाद मुस्लिम समुदाय जरूर सपा के पक्ष में लामबंद दिखे लेकिन प्रशासन की सख्ती ने उनकी वोटिंग की रफ्तार को धीमा किया. इससे सपा की स्पीड पर ब्रेक जरूर लग सकता है. सपा यहां पर दलित-मुस्लिम फॉर्मूला बनाने में कामयाब होती नजर नहीं आई.
वोटों के बिखराव ने बिगाड़ा सपा का गणित?
कुंदरकी सीट पर 62 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और सपा 2007 के बाद इस सीट पर कभी नहीं हारी. कुंदरकी सीट पर बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला होता नजर आया लेकिन मुस्लिम वोटों के बिखराव ने सपा का गणित बिगाड़ दिया है. बीजेपी के उम्मीदवार रामवीर सिंह सपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब होते दिखे. मुस्लिम इलाकों में वोटर बीजेपी के साथ जाते दिखे तो कई जगह पर मुस्लिम समुदाय बसपा, AIMIM और आसपा के उम्मीदवार के बीच भी बंटते नजर आए. सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान ने दोबारा से चुनाव कराने की मांग करने के चलते माना जा रहा है, यह सीट सपा के खाते से निकल रही है.
सीसामऊ विधानसभा सीट पर दो दशक से सपा का कब्जा है. मुस्लिम बहुल यह सीट सपा के विधायक रहे इरफान सोलंकी को सजा होने के चलते खाली हुई है और पार्टी ने उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया था. बीजेपी ने सुरेश अवस्थी को प्रत्याशी बनाया है, जो पिछले तीन चुनाव से हार रहे हैं. सीसामऊ में सुबह से पुलिस के लगाए गए बैरियर को लेकर विरोध हो रहा था. ग्वालटोली क्षेत्र के मकबरा में चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर रास्ता रोके जाने से नाराज लोगों ने पुलिस पर मतदाताओं को मतदान से रोकने का आरोप हंगामा किया. इसी तरह कई जगह मामले सामने आए हैं, जिसके चलते सपा की राह मुश्किल हो गई है.
उपचुनाव में कमजोर पड़ा पीडीए फॉर्मूला?
फूलपुर विधानसभा उपचुनाव में 12 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी-सपा के बीच रहा. कुछ इलाकों में सपा भारी दिखाई दी तो कुछ में बीजेपी की रफ्तार दिखी. दलित वोटरों ने किसके पक्ष में मतदान किया, इस पर परिणाम तय होगा. सपा ने इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार रखे थे लेकिन 2024 का पीडीए फॉर्मूला एकजुट नजर नहीं आ रहा है. मौर्य और दलित समाज का सपा के साथ आया वोट उपचुनाव में लामबंद नहीं हो पाया जबकि बीजेपी रणनीति के साथ अपने बिखरे समीकरण को मजबूत कर उतरी थी.
करहल में कई जगह फर्जी मतदान की खबरें मिलीं. मुस्लिम मतदाताओं को रोकने की तमाम शिकायतें आईं. कई बूथ एजेंटों को पुलिस उठा ले गई और उनके बस्ते उजाड़ दिए. अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी लोकतंत्र और संविधान को कुचलकर सरकार में बना रहना चाहती है, जबकि सरकार लोकतंत्र में लोकलाज से चलती है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को तार-तार करने में बीजेपी माहिर है. इसी तरह सीटों पर जिस तरह की घटना सामने आई है, वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है. बीजेपी पिस्टल के दम पर लोकतंत्र का गला घोंटकर चुनाव जीतना चाह रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में काम कर रहा है. कटेहरी विधानसभा सीट पर मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रशासन की नाकेबंदी और सख्ती सपा की स्पीड पर ब्रेक लगा सकती है.
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