अमिताभ बच्चन को अपने करियर के शुरुआत में काफी स्ट्रगल करना पड़ा। उनकी 12 फिल्में लगातार फ्लॉप रहीं। 1973 में जंजीर फिल्म की सफलता ने अमिताभ बच्चन की ही नहीं हिंदी सिनेमा की भी तस्वीर बदल दी। उसके बाद तो करीब अगले 4 सालों में ही 1977 तक अमिताभ बच्चन ने अभिमान, नमक हराम, कसौटी, मजबूर, दीवार, शोले, चुपके-चुपके, मिली, कभी-कभी, दो अनजाने, हेरा-फेरी, अदालत, खून पसीना, परवरिश और अमर अकबर एंथनी जैसी 15 शानदार फिल्में देकर सफल लोकप्रियता का नया इतिहास लिख दिया।
इसके बाद 1978 में एक वह दौर आया जब अमिताभ बच्चन ने एक महीने में ही लगातार चार सुपरहिट फिल्में दीं। अमिताभ ने इस वक्त एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो अभी तक कोई भी दूसरा हीरो नहीं बना पाया है। ये 4 हफ्ते थे 21 अप्रैल से 12 मई 1978 तक के। इस दौरान मुंबई में पहले 21 अप्रैल को अमिताभ बच्चन की कसमे वादे रिलीज हुई। उसके अगले हफ्ते 28 अप्रैल को बेशर्म रिलीज हुई, फिर 5 मई को त्रिशूल लगी तो उसके बाद 12 मई को डॉन रिलीज हुई। सबसे बड़ी बात ये है कि ये चारों फिल्में हिट रहीं।
अपनी फिल्म के साथ किसी और बड़ी फिल्म के प्रदर्शन से ज्यादातर मेकर्स घबराते हैं। लेकिन वो हिंदी सिनेमा का ऐसा गोल्डन पीरियड था जब अमिताभ बच्चन की फिल्मों के निर्माताओं को अपने नायक पर इतना भरोसा था कि उन्होंने किसी भी किन्तु परन्तु की परवाह किये बिना हर हफ्ते कतार से अपनी फिल्में रिलीज करने का साहस किया।
इन 4 फिल्मों की कहानी और अंदाज सब अलग था। इन फिल्मों में यदि कोई समानता थी तो वह यह कि इन 4 फिल्मों में से दो फिल्मों- डॉन और कसमे वादे में अमिताभ का डबल रोल था।
दो फिल्मों त्रिशूल और डॉन की पटकथा सलीम जावेद ने लिखी थी। दो फिल्में कसमे वादे और त्रिशूल में अमिताभ के साथ नायिका राखी थीं। साथ ही डॉन और बेशर्म के संगीतकार कल्याणजी आनंदजी थे, वर्ना चारों फिल्मों के फिल्मकार अलग थे।
कसमे वादे के निर्माता निर्देशक रमेश बहल थे। रणधीर कपूर, नीतू सिंह इनके अन्य सह कलाकार थे। आर डी बर्मन के संगीत में फिल्म के सभी गीत हिट हुए थे। कसमे वादे निभाएंगे हम. . ., आती रहेंगी बहारें. . ., और कल क्या होगा. . .
बेशर्म को मशहूर हास्य अभिनेता देवेन वर्मा ने बनाया था और निर्देशक के रूप में यह देवेन की पहली फिल्म थी। फिल्म की नायिका शर्मिला टैगोर थीं, लेकिन इन 4 फिल्मों में एक यही फिल्म थी जो बाकी तीन के मुकाबले कुछ कमजोर रही थी।
1975 में दीवार फिल्म की सफलता के बाद त्रिशूल ऐसी फिल्म रही जिसमें अमिताभ बच्चन, गुलशन राय, यश चोपड़ा, सलीम जावेद और शशि कपूर फिर साथ आए। इस फिल्म के भी सभी गाने हिट हुए। जैसे मोहब्बत बड़े काम की चीज है. . ., जानेमन तुम कमाल करती हो. . ., और गापुचि गापुचि . . ., इस फिल्म का अमिताभ बच्चन का एक डायलॉग भी भुलाये नहीं भूलता, मिस्टर आर के गुप्ता, तुमने 5 मिनट मुझसे बात न करके अपने 5 लाख का नुकसान किया है. . .
ऐसे ही जीनत अमान, प्राण और इफ्तेखार जैसे सह कलाकारों वाली अमिताभ बच्चन की डॉन एक अलग मिजाज की क्राइम थ्रिलर थी। डॉन जहाँ अपने खाइके पान बनारस वाला. . ., मैं हूँ डॉन. . ., जिसका मुझे था इंतजार. . ., और ये मेरा दिल प्यार का दीवाना. . ., जैसे गीतों के लिए जानी गई, वहीं अपने संवादों के लिए भी इस फिल्म को याद किया जाता है। इस फिल्म का संवाद—डॉन को पकडऩा मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. . .डॉन का इंतजार तो 11 मुल्कों की पुलिस को है. . .अब तक हिट है, साथ ही अमिताभ बच्चन के अभिनय के लिए भी इसको बराबर याद किया जाता है।
डॉन के लिए अमिताभ बच्चन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। गौरतलब है कि अमिताभ बच्चन ने डॉन के शानदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार लगातार दूसरी बार पाया था। इससे एक साल पहले अमिताभ बच्चन को फिल्म अमर अकबर एंथनी के लिए भी फिल्मफेयर मिला था।
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